प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि जीवन भर स्वस्थ एवं सक्षम रहें। कोई भी सरकार या सामाजिक संगठन अलग-अलग या मिलकर भी सभी को स्वस्थ नहीं कर सकते। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना होगा।
आयुर्वेद में वर्णित ’’आरोग्यम् मम् स्वभावः अधिकारः कर्तव्यम् च’’ स्वस्थ रहना मेरा स्वभाव है मेरा अधिकार और कर्तव्य भी है।
*यह अंक आरोग्य संपदा का अति विशेष अंक है । अति विशेष इसलिए नहीं कि इसमें विषय विशेष है बल्कि विशेष इसलिए कि यह माह/समय विशेष है । भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृत काल है जिसमें अयोध्या में चिर प्रतीक्षित भगवान श्री राम जी का अपने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो रहा है । इसमें हमने भी लेख के माध्यम से योगदान देने का प्रयास किया है । अतः आप सब लोग अपने – अपने पास संग्रह कर अवश्य रखें एवं अपने परिचतों को भी अवश्य सदस्य बनायें।*