भावी दृष्टि

प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि जीवन भर स्वस्थ एवं सक्षम रहें। कोई भी सरकार या सामाजिक संगठन अलग-अलग या मिलकर भी सभी को स्वस्थ नहीं कर सकते। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना होगा। आयुर्वेद में वर्णित ’’आरोग्यम् मम् स्वभावः अधिकारः कर्तव्यम् च’’ स्वस्थ रहना मेरा स्वभाव है मेरा अधिकार और कर्तव्य भी है।

Mission

Your chance to flaunt your mission and qualities that you want people to know. Make sure you don't miss out on anything important.

Vision

Your chance to flaunt your mission and qualities that you want people to know. Make sure you don't miss out on anything important.

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भावी दृष्टि (Mission & Vision)

प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि जीवन भर स्वस्थ एवं सक्षम रहें। कोई भी सरकार या सामाजिक संगठन अलग-अलग या मिलकर भी सभी को स्वस्थ नहीं कर सकते। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना होगा। आयुर्वेद में वर्णित ’’आरोग्यम् मम् स्वभावः अधिकारः कर्तव्यम् च’’ स्वस्थ रहना मेरा स्वभाव है मेरा अधिकार और कर्तव्य भी है। सरल भाषा में कहा जाए तो डल भ्मंसजी पे डल त्मेचवदेपइसपजल मेरा स्वास्थ्य मेरा दायित्व है – यह भाव प्रत्येक व्यक्ति में जागृत करना ही प्रमुख लक्ष्य है, जिसको अपने कार्य का प्रथम सोपान कहा जाता है – अर्थात् ’स्वस्थ व्यक्ति’। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी परिवार का अंगभूत घटक होने के कारण अगले सोपान अर्थात् ’स्वस्थ परिवार’ को सक्षम बनाना तथा अपने आचरण एवं व्यवहार से परिवार में स्वास्थवर्धक वायुमण्डल तैयार करना उसका सहज स्वाभाविक कर्तव्य है। एक परिवार को स्वस्थ श्रेणी में देखकर अन्य दूसरे परिवारों को भी प्रेरणा मिलती है। जहाँ व्यक्ति को स्वयं के लिए या परिवार व्यवस्था के लिए पहल ;प्दपजपंजपअमद्ध, सजगता, सहजता एवं नियमितता की आवश्यकता होती है, वहीं स्वस्थ ग्राम या समाज के लिए वायुमण्डल, प्रशिक्षण, संसाधन (साहित्य, प्रारूप आदि) तथा प्रेरणा ;डवजपअंजपवदद्ध की आवश्यकता होती है। विभिन्न व्यक्तियों, स्थानों, कालखण्डों के अनुसार भी नवीनता, प्रयोगधर्मिता, निरन्तरता तथा अवसरों के अनुरूप सामंजस्य भी आवश्यक है। कुल मिलाकर संगठन का व्यवस्थित तंत्र, पुरूष एवं महिला कार्यकर्ताओं की अनवरत अविरल श्रृंखला, सुविचारित कार्य पद्धति, सर्वव्यापी एवं सर्वसमावेशी कार्य स्वरूप और स्वस्थ प्रारूप ;भ्मंसजील डवकमसद्ध – ग्राम, बस्ती, विद्यालय, उद्योग आदि का प्रत्यक्ष दर्शन ही अपेक्षित स्वरूप को प्रकट कर सकता है। इस दिशा में अपेक्षित सफलता के साथ समयबद्धता, लक्ष्य आधारित कार्य पद्धति और परिणाम आधारित कार्य व्यवहार आवश्यक है, तभी तंत्र हम ’स्वस्थ राष्ट्र’ का स्वप्न साकार करने में समर्थ हो सकते है। यहीं आरोग्य भारती का अभीष्ट लक्ष्य है।

आरोग्य भारती